पलायन-एक : मैथिली कविता

 पलायन-एक : मैथिली कविता


   


छोड़ि देलहूँ गाम आब

शहरे  में  रहैत छी

कचछमछि उठैया मनमे 

त माय सँ फोनो पर

गप करैत छी,

ओकरे सँ पूछैत छी

गामक हाल चाल

केहन अछि खेत पथार,

केहन फङल अछि

बुढ़िया गाछी आम

खेतक उपजल अन्नके

के कतेक देलक दाम

कतेक में विकाएल

के कतेक देलक दाम

पूरना पोखरिक माछ

नानिक देल महिस

कतह अछि पोसीया लागल

गाम पर रहीतौ दुघो खैतो

हम केहन छी अभागल

छि परदेशमें 

सदिखन रहैया गामक चिनता

कतबौ कहलियै माय के एतै रहि जो

लेकीन ओकरा गामे स स्नेह लागल

कि कहु हमरो मन गाममे रहैलय छटपटाइया

दोख छैक अई जरलाहा पेटके 

मोन ने मनाईया 

कतबो बिसरि गाम के

बिसरलोने विसराईया।



            पलायन-एक :- मैथिली कविता 

          रचना :- सतीश चंद्र मिश्र (सुमन जी )



No comments:

ads
Powered by Blogger.