मिथिलाक विक्रमशिला विश्वविद्यालय के इतिहास : विक्रमशिला विश्वविद्यालय
मिथिलाक विक्रमशिला विश्वविद्यालय के इतिहास
सिल्क सिटी के नाम सं मशहूर भागलपुर जिला सं करीब ५० किलोमीटर पूरब में कहलगांव लग अंतीचक गांव स्थित विक्रमशिला विश्वविद्यालय के खंडहर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पर्यटक के आकर्षण के केंद्र सेहो अछी | एकरा एकटा प्राचीन राजकीय विश्वविद्यालय के रूप में सेहो जानल जाइत अछि | अहीसे किछ किलोमीटर दूर उत्तर में गंगा नदी बहैत अछि |
सातवीं शताब्दी में भारत भ्रमण पर आयल मशहूर चीनी यात्री ह्वेन सान के यात्रा वृतांत में विक्रमशिला विश्वविद्यालय के कुनु जिक्र में भेटय अछी , जे इ बतबय अछि जे ओही समय धरी महावीर बजूद में नै आयल छल
अही विश्वविद्यालय के स्थापना पाल वंश के राजा धर्मपाल आठवी सदी के अंतिम वर्ष या नौवी सादिक शुरुवात मैं केने छलथि | करीब चाइर सदी धरी वजूद में रहलाक उपरांत तेरवी सदी के शुरुआत में इ नष्ट भ गेल एकटा मान्यता इ अछि जे महावीर के संस्थापक राजा धर्मपाल के भेटल उपाधि विक्रमशील के कारण संभवतः एकर नाम विक्रमशिला परल |
सौ एकड़ सं बेसी भू भाग में स्थित विश्वविद्यालय के खुदाई शरुआत साइठ दशक में पटना विश्वविद्यालय द्वारा कैल गेल छल , एकरा १९७८ सं १९८२ के बिच भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण पूरा केलक | विक्रमशिला विश्वविद्यालय में आध्यात्म , दर्शन , तंत्रविद्या , व्याकरण , तत्व ज्ञान , तर्कशास्त्र अदि के पढाई होइत छल |
एतय पढ़य आयब बला सब कियो के विश्वविद्यालय के द्वारा पर कठिन परीक्षा सं गुजरय छल | एतय एक संगे करीब एक हज़ार विद्यार्थी पढ़ैत छल आ सॉ प्रध्यापक रहैत छल |
अही विश्वविद्यालय के प्रबंधन द्वारा बिहार के एकटा दोसर मशहूर नालंदा विश्वविद्यालय के काम -काज के सेहो नियंत्रण कैल जाइत छल | दुनू दीसक शिक्षक एक - दोसरक एतय जा क पढ़ाबीतो छलैथ |
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